Tuesday 6 December 2011

संसद भंग हो रही /-3

प्रजा तंत्र का साज सज गया फील गुड का गान
प्याज बिक गया साठ रुपैया .अपना देश महान
ये दोहरी  मार पड़ रही .संसद भंग हो रही /
हर एक साल नया तोहफा लो बैठे छीलो प्याज
करो तयारी फिर चुनाव की ,इनको दे दो ताज
घोटाला चलन बन रही ,संसद भंग हो रही /
बो रहे झूठ बंटते फूट चल रहे कपट नीति के कूट
दिन करें नैतिकता की बात ,तोड़ते मर्यादा हर रात
झूठ परवान चढ़ रही संसद भंग हो रही /
धर्म की ब्याख्या करते रोज नोचते नैतिकता को खोज
जाती की राज नीति बेजोड़ राष्ट्र की निष्ठा डाले तोड़
 शर्म बेशर्म हो रही संसद भंग  हो रही /
बढ़ रहा कला धंधा रोज.कमाते कला धन हर रोज
वोट पड़ते लाठी के जोर मचाते लोक तंत्र का शोर
 असलियत नंगी हो रही संसद भंग हो रही /
बन रहा रोज नया दल एक क्षेत्र और जाति कर रही टेक
बदलती निष्ठा रातो रात बोलते ऊंची ऊंची बात
धूर्तता कितनी बढ़रही संसद भंग हो रही/
जेइल जाते जैसे ससुराल निकल कर फिर वैसी ही चाल
आदमी होता रोज हलाल नहीं इन सब को कोई मलाल
ये कैसी हवा चाल रही संसद भंग हो रही /
कर रहे प्रजातंत्र की बात खेलते पूँजी पति के हाँथ
 इक्कट्ठा करते गुंडा फ़ौज घूमते बाहु  बली बे खौफ
गुंडई पूजित हो रही संसद भंग हो रही /
समर्थन देते लेते रोज बदलतीं सरकारें हर रोज
सदन बहुरूपियों का मेला जोकरई करें गुरु चेला
चमड़ी मोती हो रही संसद भंग हो रही /

  



  

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