Saturday 10 December 2011

हमारा देश आर्यावर्त .

हमारा देश आर्यावर्त .भारत वर्ष . हिन्दुस्तान . इंडिया .भारतमाता तक की यात्रा कर चुका
तब से अब तक कितनी संस्कृतियाँ ,सभ्यताएं .जातियां .धर्म .भाषा इस देश में आये  कुछ चाले गए कुछ यहीं के होकर रह गए/कुछ धर्म यहीं पैदा हुएऔर सारी दुनिया में फ़ैल गए/  हमारी स्थिति यह है की हम आज भी अपना वजूद तलाश रहे है /आखिर माजरा क्या है!हम कौन थे क्या होगये और क्या होंगे अभी ,आओ विचारें आज मिलकर ये समस्याएं सभी ..अपने विचार देकर राष्ट्र धर्म का निरवाह करें ........
ॐ सहना भवतु सहनौभुनत्तु सहवीर्यं ..और . तेनतक्तेनभुन्जिथः..तथा . जीवेम शरदः .(वेद)..से ....यवादजीवेत सुखंजीवेत  ऋणं कृत्वा घृतं पीवेत  (पुराण)तक   की यात्रा कर चुके / प्रकृति पूजा से अनीश्वर बाद होते हुए मूर्ति पूजा.एवं बुद्ध से मूर्ति पूजा  के बीभत्स रूप तक पहुँच गए  /  हमारा खंड खंड पाखंड ओढने का कोई आधार  क्या है .हम कर्म के अनुसार वर्ण के उपासक (वेद -एक घर के चार पुत्र ब्रह्मण क्षत्री वैश्य शूद्र )जन्मना जाति(पुराण) और वर्ण तथा धर्म को अंगी कार कर चुके /धार्मिक उन्माद के ,जातीय विखंडन के चरम पर हैं हम ,स्वधर्म/राष्ट्र धर्म विलुप्त है /लूटो नोचो का भ्रष्टाचर  धर्म हो गया है  कितना पतन और होगा विश्व गुरु का ,,आप ही सोचें और उपाय सुझाएँ की  हमें क्या करना चाहिए  /आज तो अराजकता भी बड़ी समस्या है /रोज हत्या बलात्कार (यत्र नार्यन्तु पूज्यते) कादेश है /..अगर कुछानाही हो सकता तो सामाजिक आचरण क्या हो .विचार प्रकट करें .....शायद कोई हल नकले ...या नाभि निकले /कोई रास्ता दिखे ...

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