Sunday 11 December 2011

,सोनिया का विरोध सिर्फ विदेशी होने के कारन/ राहुल का विरोध हजारे के गाँव

प्रिय दोस्तों /आज सुबह से जंतर मंतर का नाटक और सर्कस की कलाबाजी देख और सुन रहा हूँ केजरीवाल ने गुमराह करने की कोशिस की लेकिन वर्धन साहब और ब्रिंदा ने उसे संभाला संसद की मर्यादा रखी/किसीने उनकी इक्षा के अनुरूप कोई बात  किसी ने नहीं माना /सब ने संसद में चर्चा की बात की / मैं चार  बातें कहूँगा ..
.१)बाबूराव हजारे उर्फ़ अन्ना का सोनिया तथा राहुल को अनुमान के आधार पर अनावस्यक दोष देना क्या सर्वथा गलत नहीं  है ?,यह लड़ाई सीधे हजारे टीम ने सोनिया/राहुल की ओर जानबूझ कर मोड़ दिया है /मात्र बदनाम करने के लिए /
2)देश को सूचना का अधिकार अधिनियम सोनिया ने दिलवाया /भा ज पा शासन ने नहीं दिया, देतो वह भी  सकती थी  पर क्यों नहीं दिया ?आज नाटक क्यों ?
3) बिदेश में जमा काले धन की वापसी के लिए २२ देशो से समझौता सोनिया ने  किया है
4)राष्ट्रीय सलाह कार  परिषद् की अध्यक्ष के रूप में सोनिया ने पहली बार लोकपाल बिल लाने की सलाह दी /4)राहुलने संसद के बहार कभी कोई टिप्पड़ी लोकपाल के बारे में नहीं की /देश को  सूचना का अधिकार,विदेश में जमा  काले धन पूँजी की वापसी ,लोकपाल बिल की हिमायत ,करने हेतु वचनबद्ध ,सोनिया का विरोध सिर्फ विदेशी होने के कारन/  राहुल का विरोध हजारे के गाँव के लोगो से न मिलने के कारण /कांग्रेस का विरोध सिर्फ अन्य विरोधी पार्टियों के उकसावे  के कारन  कुंठा में कियाहै हजारे ने/ क्यों की कांग्रेस विधि अनुसार सब करने को प्रति बद्ध है /लोग दादागिरी से यश लेना चाहते हैं /
असल में RSS/बीजेपी बिपक्षी नहीं चाहते की यश कांग्रेस को मिले समस्त अराजक नौटंकी यही है /सभी को चुनाव जीतना है /हजारेकांग्रेस  का विरोध कर हराना चाहती है क्यों की उन्हें डर है की कांग्रेस रह गई तो उनकी खैर नहीं /उनकी सारी  गंदगी सामने आएगी /आप कृपया अपनी टिप्पड़ी से मेरी भी सहायता करें ,मैं भी कंही गलत  तो नहीं सोच रहा हूँ ,आप की बेबाक टिप्पड़ी का स्वगत है तों..




 

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