Tuesday 20 December 2011

ved mantr ..contd 6

शुभ प्रभात /मित्रों ..कल से आगे
यजुर्वेद ३६/१४ ओं तच्चक्षु  देर्वहितं पुराश्ताच्छुक्र्मुच्च्रत
पश्येम शरदः शतं जीवेम:शरद शतं श्रुणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शत मदीना:स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात//४//अर्थात वह ब्रम्ह जो सर्व द्रष्टा ,उपासकों का हित करी ,और पवित्र है  जो श्रृष्टि के पूर्व से वर्तमान है उसकी कृपा से हम .देंखे १०० वर्ष  तक /जीवें १०० वर्ष तक /सुनें १०० वर्ष तक /बोलें १०० वर्ष तक /  स्वतंत्र रहें १०० वर्ष तक और १०० वर्ष से भी अधिक देंखे सुने जीए /
अब ..ओं सन्नोदेवीरभिष्ठय आपोभवन्तुपीतये संयोरभीश्रवन्तुनह .. .का पाठ कर तीन आच मन करें फिर गायत्री मन्त्र पढ़ें /ओं भूर्भुवः स्वह /तत सवितुरवरेण्यम भर्गो देवस्य धीमहि धियो इयो नःप्रचोदयात /यजुर्वेद.३६/३// ( अर्थ सबसे पहले दिए अनुसार )आज इतना ही कल फिर आगे ...आप का दिन शुभ हो ,कल्याण कारी हो , फल दाई  हो /     

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