Thursday 1 December 2011

आज नींद खुल गई

आज नींद खुल गई फेस बुक को पूरा देखा ,समय को चबाने का एक जरिया है /जब आप बोर हो रहे हों कुछ समझ न आता हो तो भी बिजीकर देता है /ढेरों विचार मिलते है /ठीक ही है /कुछ लोग यहाँ भी ग्रुपबाजी ,तिकड़म करते रहते है पसंद नापसंद करके /कोई मिल जाये तो बात करलो,मन बहल जायेगा ,कुछ जीवंत समस्याओं पर विचार मिल जाता है / कुछ मित्र ह्यूमर भी कर लेते है ,मुझे यह जादा जरूरी इसलिय लगता है की आज लोग हसना या किसी की खुल... कर तारीफ करना भूल गए है/..मुझे ..बिम्लेंदु ,लीना और गीता तीन संभावनाओं की नई पौध मिली , लीना और बिम्लेंदु की बहुत अच्छी पकड़ है कविता पर , इनका शिल्प और इनकी कविता की भाषा दोनों बेमिशाल है ,बार बार पढने को मन कहता है /गीता ..नवगीत अच्छे लिख रही है. तीनो लम्बी रेस के घोड़े हैं .इन्हें लिखने की ललक बनी रहे /बिम्लेंदु.. गद्य भी सटीक लिखते हैं ,विबेचना भी अच्छी कर रहे है विषय को खोल कर तटस्थ हो जाते हैं / मेरी समस्त सद्भावना एवं शुभकामनाये,इनके लिए / पुनश्च......इन तीनो से मै फेसबुक पर ही परिचित हुआ .....

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