Sunday 18 December 2011

ved mantr ..contd 4

मित्रों शुभ प्रभात
वेद की ऋचाएं :आप की नित्य पूजा
कल से आगे ;(अथर्व ३/२७/५/
ओं ध्रुवादिग्विश्नुरधिपतिः कल्माषग्रीओ रक्षितावीरुधइषवः/तेभ्यो नमो अधिपतिभ्यो नमो रक्षत्रिभ्यो नम इषुभ्यो  नम एभ्यो अस्तु /योअस्मन द्वेष्टि  यं वयं     द्विषमषतं वो जम्भेदध्मः//५//   अर्थात .नीचे की दिशा में विष्णु स्वामी हैं और  काली गर्दन वाले जीवों से रक्षा करते हैं /वृक्ष लता आदि उनके बाण हैं /हम उनका आदर सम्मान करते है ,हम सभी का सम्मान करते हैं /
ओम ऊर्ध्वादिग वृहस्पतिरधिपतिः शिवत्रोरक्षिता वर्षमिशव:/ तेभ्यो नमो अधिपतिभ्यो नमो रक्षत्रिभ्यो नम इषुभ्यो  नम एभ्यो अस्तु /योअस्मन द्वेष्टि  यं वयं     द्विषमषतं वो जम्भेदध्मः//६//अर्थात ...ऊपर की दिशा में वृहस्पति महान स्वामी हैंवे स्वेट कुष्ठआदि  रोंगों से रक्षा करते हैं वर्षा का जल उनके बाण स्वरूप हैं / हम उनका आदर सम्मान करते है ,हम सभी का सम्मान करते हैं /टीप;....
(इन छहों मंत्रो में पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण ऊपर नीचे दिशा  के रक्षक  देवता अग्नि इंद्र वरुण सोम विष्णु वृहस्पति,उनके हथियार और संभावित कष्ट का उल्लेख तथा निदान है हम उन सभी का सम्मान करते हैं /)शेष तीसरा कर्तब्य कर्म   अगले दिन.... आप का दिन शुभ हो सभी दिशाओं के देवता आप की रक्षा करें                     

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