Thursday 15 December 2011

जीवन में बहुत बवाल है
वरना कौन भूलता उन बे फिकर दिनों को
आप भी नहीं भूले होंगे पर, याद नहीं करते होंगे हरदम
आखिर कौन है इतना फुर्सतिहा ,बहुत मार काट मची है इन दिनों
जिसे देखो वही,धकियाते जा रहा है एक दूसरे को ,
पेले पड़ा है ..एक दूसरे के पैरों में सिर डाले..भेड़ की तरह..
ऐसे में महज इतना ही हो जाय तो भी समझो बहुत अच्छा की ....
अपने काम के बाद जब आप पोंछ रहे हों अपना पसीना
तो बस याद आजाये पसीना पोंछते पिता का चेहरा
हम समझें यह की जिन्दगी उनकी भी कठिन थी ,दुरूह थी
और यह की दुनियां सिर्फ हमारी
नी पूरी आजादी के साथ
बपौती नहीं है
यंहा सब को हक़ है जीने का अप
नी पूरी आजादी के साथ
,
नी पूरी आजादी के साथ

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