Saturday 17 December 2011

ved mantr ..contd 3

शुभ प्रभात मित्रों  वेदों में  प्रति दिन गृहस्थ  के लिए किये जाने वाले संध्या कर्म निर्धारित हैं अभी तक आप ने पढ़ा की आप का पहला कर्तब्य क्या है ,दूसरे कर्तब्य की पहली कड़ी अब पढ़िए आगे .......
अथर्व वेद ३/२७/३/...
ओं प्रतीची दिग्वरुनोअधिपति: प्रिदाकू रक्षितानंमिषाव:/  तेभ्यो नमोअधिपतिभ्योनमो   रक्षितुभ्यो नम एभ्योअस्तु /यो अस्मान द्वेस्ती यं वयं द्विस्मस्तंवो जम्भे दद्मः //३//    अर्थात....पश्चिम दिशा में वरुण स्वमी हैं विषैले प्राणियों से रक्षा करते हैं घृत उनके बाण  के सामान है  /उनके लिए नमस्कार ,उनका आभार सभी के लिए आदर /
ओम उदीची दिक्सोमोअधिपति:स्वजोरक्षिताश निरिषव:/ तेभ्यो नमोअधिपतिभ्योनमो     रक्षितुभ्यो नम एभ्योअस्तु /यो अस्मान द्वेस्ती यं वयं द्विस्मस्तंवो जम्भे दद्मः / ३/२७/४/
अर्थात ...
उत्तर दिशा में सोम शांति स्वरूप ईश्वर हैं स्वामी हैं स्वयं उत्पन्न कीटआदि से रक्षा करते है अकाशी विद्दयुत उनका बाण है /उनके लिए नमस्कार ,उनका आभार सभी के लिए आदर
शेष ५/६/कल आप का दिन शुभ हो   
    

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